लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर
निशा मे सित
हर्म्य
में
सुख
नींद...
निशा में सित
हर्म्य
में
सुख
नींद
में
सोई
सुघरवर
योषिताओं के बदन
को
बार-बार
निहार
कातर
चन्द्रमा चिर काल
तक,
फिर
रात्रिक्षय
में
मलिन
होकर
लाज में पाण्डुर
हुआ-सा
है
विलम
जाता
चकित
उर
प्रिये ! आया ग्रीष्म
खरतर
!